संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार

Authors

  • डॉ0 बिपिन कुमार शुक्ल

Abstract

मानवाधिकारों का विचार मूल रूप से मानवीय गरिमा और मूल्यों से जुड़ा विचार है ।इन अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विश्व व्यवस्था के राष्ट्रों ने मानवाधिकार के विचार को अपने संविधानों में मूल अधिकार या मौलिक अधिकार के रूप में शामिल करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु साझा प्रयास किए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सबसे महत्वपूर्ण मंच संयुक्त राष्ट्र का मंच है जहाँ अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की स्थापना के साथ-साथ मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के विचार को समान रूप से महत्व प्रदान किया गया है। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात उभरे नवीन अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में कई ऐसी नवीन प्रवृत्तियों ने जन्म लिया जिन्होंने राष्ट्र विशेष की सीमाओं के अंतर्गत कतिपय ऐसी समस्याओं को जन्म दिया जो उस राष्ट्र विशेष तक सीमित न रहकर संपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बनी। मानवाधिकारों का उल्लंघन और मानवीय संकट भी इसी तरह की महत्वपूर्ण समस्याएं हैं । प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका का विश्लेषण करना है।
शब्द कुंजी : - मानवाधिकार, संयुक्त राष्ट्र चार्टर, उदारीकरण, भूमण्डलीकरण, गृहयुद्ध, नृजातीय संघर्ष, मानवीय सहायता, मानवीय हस्तक्षेप आदि।

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Published

15-01-2019

How to Cite

1.
डॉ0 बिपिन कुमार शुक्ल. संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार. IJARMS [Internet]. 2019 Jan. 15 [cited 2024 Nov. 21];2(1):192-8. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/270

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