सर्वोदय और सामाजिक न्याय
Abstract
वर्तमान भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर जातिवाद, संप्रदायवाद और क्षेत्रीयतावाद आदि के बढ़ते प्रभाव ने मानव और मानव कल्याण केंद्रित राजनीति के विचार को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया है। फलस्वरूप सामाजिक न्याय का वह विचार भी नेपथ्य में चला गया जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति खासकर सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को केंद्र में रखकर संसाधनों के वितरण की बात करता है। इसके अतिरिक्त वैश्वीकरण और उदारीकरण की प्रक्रिया ने समाज में जिस आर्थिक खाईं को जन्म दिया उसमें समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति और समूहों की स्थिति निरंतर बद से बदतर होती गई। प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य सर्वोदय के विचार और सामाजिक न्याय स्थापित करने में उसकी उपादेयता पर विचार करना है।
शब्द पूंजीः- सर्वोदय ,सामाजिक न्याय, साम्यवाद,उदारवाद ,आर्थिक खाईं, श्रेणी समाजवाद, फेबियन समाजवाद आदि।
Additional Files
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2020 IJARMS.ORG

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
*