प्रतिरोध, क्रान्ति और निराला

Authors

  • डॉ0 मंजुला यादव

Abstract

‘‘दुःख ही जीवन की कथा रही,
क्या कहूँ आज, जो नहीं कहीं।’’
महाप्राण निराला के काव्य में क्रान्ति व विद्रोह का स्वर सर्वाधिक मुखरित हुआ है। निराला क्रान्ति के अग्रदूत हैं। शक्ति के उपासक होने के कारण वे अन्याय को चुपचाप सहन नहीं कर सकते थे, उनका सारा जीवन सामाजिक रूढ़ियों, अन्धविश्वासों और मानवता के नाम पर कलंक लगाने वाली कुरीतियों पर प्रहार करते बीता। उन्होंने अपने जीवन में जितने संघर्ष झेले और आपदाओं की मार से जिस प्रकार उनका हृदय विदीर्ण हुआ, उतना सम्भवतः भारत के किसी अन्य महान साहित्यकार का न हुआ होगा। कबीर के उपरान्त उन्हें ही सबसे अधिक विरोधों का हलाहल पीना पड़ा था और इन्हीं सब कारणों से वे विद्रोह और क्रान्ति के कवि बने।
Keywords- महाप्राण निराला, इस्लामी प्रतिरोध, क्रान्ति व विद्रोह।

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Published

31-01-2018

How to Cite

1.
डॉ0 मंजुला यादव. प्रतिरोध, क्रान्ति और निराला. IJARMS [Internet]. 2018 Jan. 31 [cited 2025 Mar. 12];1(1):217-23. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/339

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