आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद और उसकी राजनीति पर भूमिका
Abstract
आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा के रूप में विकसित हुआ है, जो राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तनों से प्रभावित होता रहा है। यह शोधपत्र भारतीय राष्ट्रवाद की ऐतिहासिक उत्पत्ति, उसके विविध रूपों और समकालीन राजनीतिक परिदृश्य में उसकी भूमिका का विश्लेषण करता है। औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक, राष्ट्रवाद ने भारतीय समाज को एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के बाद, राष्ट्रवाद का स्वरूप बदलता गया और यह लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, बहुसांस्कृतिकता और आर्थिक नीति से जुड़ गया।
समकालीन भारत में राष्ट्रवाद कई रूपों में प्रकट होता है, जिनमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, धार्मिक राष्ट्रवाद, नागरिक राष्ट्रवाद और डिजिटल राष्ट्रवाद प्रमुख हैं। यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि किस प्रकार राजनीतिक दल, सामाजिक आंदोलन और वैश्वीकरण की प्रवृत्तियाँ राष्ट्रवाद को प्रभावित कर रही हैं। इसके अलावा, यह राष्ट्रवाद की सकारात्मक और नकारात्मक प्रवृत्तियों का मूल्यांकन करते हुए इसकी प्रभावशीलता और सीमाओं पर भी चर्चा करता है।
अंततः, यह शोध राष्ट्रवाद के भविष्य और उसकी राजनीतिक भूमिका का पूर्वानुमान लगाने का प्रयास करता है, जिससे यह समझा जा सके कि राष्ट्रवाद किस प्रकार भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को आकार देता रहेगा।
कीवर्ड- राष्ट्रवाद, भारतीय राजनीति, स्वतंत्रता संग्राम, लोकतंत्र, सांस्कृतिक पहचान, आधुनिक भारत, वैश्वीकरण, डिजिटल राष्ट्रवाद
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