लैंगिक हिंसा एवं मानवीय गरिमा

Authors

  • डा0 सदगुरु पुष्पम

Abstract

लैंगिक हिंसा एक वैश्विक सामाजिक समस्या है जो समाज की प्रत्येक इकाई को प्रभावित करती है। यह न केवल शारीरिक और मानसिक क्षति पहुंचाती है, बल्कि पीड़ित की मानवीय गरिमा को भी ठेस पहुंचाती है। यह शोध पत्र लैंगिक हिंसा के विभिन्न रूपों, उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारणों एवं प्रभावों का विश्लेषण करता है। साथ ही, यह यह स्पष्ट करता है कि किस प्रकार मानवीय गरिमा का निरंतर हनन लैंगिक असमानता को स्थायी करता है। अध्ययन में कानूनी व्यवस्थाओं, सामाजिक आंदोलनों, अंतर्राष्ट्रीय संधियों, तथा महिला सशक्तिकरण नीतियों की समीक्षा की गई है। अंततः, शोध इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि लैंगिक हिंसा के विरुद्ध एक समग्र, न्यायसंगत, और मानवीय दृष्टिकोण ही वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।
कीवर्ड - लैंगिक हिंसा, मानवीय गरिमा, महिला अधिकार, पितृसत्ता, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, संविधानिक प्रावधान, सामाजिक न्याय, यौन समानता, महिला सशक्तिकरण

Additional Files

Published

31-01-2024

How to Cite

1.
डा0 सदगुरु पुष्पम. लैंगिक हिंसा एवं मानवीय गरिमा. IJARMS [Internet]. 2024 Jan. 31 [cited 2025 Aug. 11];7(01):170-83. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/755

Issue

Section

Articles