पर्यावरणीय नीति और हरित राजनीति
Abstract
पर्यावरणीय संकट आज वैश्विक स्तर पर मानवीय अस्तित्व के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का विनाश, वनों की कटाई, प्रदूषण और संसाधनों की अनियंत्रित खपत ने विश्व को ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है जहाँ सतत विकास और पारिस्थितिकीय संतुलन के बिना मानव सभ्यता का अस्तित्व खतरे में है। इस परिप्रेक्ष्य में पर्यावरणीय नीतियाँ और हरित राजनीति का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। यह शोध पत्र पर्यावरणीय नीतियों के विकास, उनके सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों, अंतर्राष्ट्रीय हरित आंदोलनों, भारत की पर्यावरणीय नीतियों की समीक्षा तथा हरित राजनीति की भूमिका का विश्लेषण करता है। शोध का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि किस प्रकार हरित राजनीति एक वैकल्पिक राजनीतिक विमर्श के रूप में उभरी है और यह किस सीमा तक पर्यावरणीय संकट के समाधान में सहायक हो सकती है।
कीवर्ड- पर्यावरणीय नीति, हरित राजनीति, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी, जैव विविधता, हरित आंदोलन, वैकल्पिक राजनीति, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरणीय न्याय।
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