मानव अधिकार और पुलिस सुधार: भारत का परिप्रेक्ष्य (1947-2021)
Abstract
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक स्वतंत्रताओं को संविधान में समाहित किया, किंतु पुलिस व्यवस्था में उपनिवेशकालीन ढांचे की निरंतरता ने मानवाधिकारों के संरक्षण में बाधाएं उत्पन्न कीं। यह शोधपत्र 1947 से 2021 तक भारत में मानवाधिकारों की स्थिति और पुलिस सुधारों के प्रयासों का विश्लेषण करता है। इसमें विभिन्न आयोगों की सिफारिशों, न्यायिक हस्तक्षेपों, और पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलावों का अध्ययन किया गया है। शोध से स्पष्ट होता है कि प्रभावी पुलिस सुधारों के अभाव में मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है, और न्यायिक निर्देशों के बावजूद सुधारों का कार्यान्वयन अधूरा है।
कीवर्ड्स- मानव अधिकार, पुलिस सुधार, भारत, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, न्यायिक हस्तक्षेप, पुलिस आयोग, पुलिस जवाबदेही, संविधान, लोकतंत्र, पुलिस प्रशिक्षण
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