लोक अदालतों और वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली (ADR) की प्रासंगिकता

Authors

  • सतीश तिवारी

Abstract

भारत में न्यायिक प्रणाली की जटिलताओं और लंबित मामलों की बढ़ती संख्या ने वैकल्पिक विवाद समाधान (।क्त्) प्रणालियों की आवश्यकता को रेखांकित किया है। लोक अदालतें, ।क्त् का एक महत्वपूर्ण अंग, न्याय तक सुलभता, त्वरित समाधान और न्यूनतम लागत पर विवादों के निपटारे का माध्यम प्रदान करती हैं। यह शोध पत्र 1947 से 2022 तक लोक अदालतों और ।क्त् प्रणालियों के विकास, प्रभावशीलता और प्रासंगिकता का विश्लेषण करता है। इसके अंतर्गत कानूनी ढांचे, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सामाजिक प्रभाव, और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की गई है।
कीवर्ड - लोक अदालत, वैकल्पिक विवाद समाधान, ।क्त्ए न्याय सुलभता, कानूनी सेवाएं, भारत, न्यायिक सुधार, वैकल्पिक न्याय प्रणाली, सामाजिक न्याय, विवाद निपटान।

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Published

31-07-2022

How to Cite

1.
सतीश तिवारी. लोक अदालतों और वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली (ADR) की प्रासंगिकता. IJARMS [Internet]. 2022 Jul. 31 [cited 2025 Jul. 4];5(2):186-99. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/738

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