भारतीय संस्कृति और कला

Authors

  • डा0 दीपाली श्रीवास्तव

Abstract

कला और संस्कृति का आपसी रिश्ता काफी गहरा है। कला संस्कृति की प्रवक्ता होती है। कला के माध्यम से ही संस्कृति हमारे जीवन मे अभिव्यक्ति पाती है। कला अपने संस्कृतिक सरोकारो के साथ आगे बढती है। उसको अभिव्यक्ति कला के विविध रूपो (संगीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला, स्थापत्यकला, सिनेमा, फोटोग्राफी, साहित्य आदि मे जीवंत होती है। संस्कृति किसी भी समाज की परम्परा से मिली भैतिक व अभैतिक विरासत का नाम है। कला, संस्कृति अपनी अभिव्यक्ति पाती है। अतः हम कला रूप संस्कृति को इसी रूप मे देखते है। भारत एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला देश रहा है। जिसकी कीर्ति आज भी सारे विश्व मे अपनी संपूर्ण आभा के साथ विद्यमान है। भारत की वैभवशाली सांस्कृतिक एवं कला विरासत को सहेजनें के साथ साथ आम जनमानस तक इसे सही स्वरूप में पहुंचाने का भी काम पूरी तत्परता और लगन के साथ किया जाता है।
शब्द संक्षेप- भारतीय संस्कृति, कला, अभिव्यक्ति, संस्कृतिक सरोकार एवं सांस्कृतिक विरासत।

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Published

15-05-2019

How to Cite

1.
डा0 दीपाली श्रीवास्तव. भारतीय संस्कृति और कला. IJARMS [Internet]. 2019 May 15 [cited 2025 Mar. 12];2(2):223-6. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/363

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Articles