भारतीय संविधान (विविधता में एकता)
Abstract
दुनिया में किसी भी देश का संविधान, वह मूलभूत विधान होता है जो उस देश की सम्पूर्ण व्यवस्था को दर्शाता है। वर्तमान में भारतीय संविधान में 465 अनुच्छेद, 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखा गया है। भारतीय संविधान में दुनियाभर के प्रमुख संविधानों से उचित और उपयोगी प्रावधान लिये गये है और देश की उपयुक्ता और आवश्यकता के लिहाज से उसमें परिवर्तन परिवर्द्धन और संशोधन किया गया है। संविधान भारत सरकार के अधिनियम 1935 पर आधारित हैं। भारतीय संविधान न तो कठोर है और न ही लचीला। इसके मूल ढांचे में छेड़छाड़ किये बिना समयानुकूल आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर संशोधन किये जाने का प्रावधान है। संविधान के मूल ढांचे के अंगों में धर्मनिरपेक्षता संघवाद, संसदीय स्वरूप, एकल नागरिकता, एकीकृत तथा स्वतंत्र न्यायपालिका, राज्य के नीति निर्देशक तत्व जो संविधान के अनुच्छेद 36 से 50 में अंकित है मौलिक अधिकार, सार्वभौम वयस्क मताधिकार, शक्तियों का पृथ्क्कीकरण आदि-आदि बिन्दु आते है। संविधान में वर्णित शब्द ‘धर्मनिरपेक्षता भारत‘ में मौजूद सभी धर्मो को देश में समान संरक्षण देने और शासकीय कार्य में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार व समान अवसर उपलब्ध कराने के रूप में परिभाषित है।
शब्द संक्षेप- भारतीय संविधान मूल ढांचा, संविधान संशोधन, धर्म निरपेक्षता, अनुसूची, अनुच्छेद, गणतन्त्र, एकल नागरिकता।
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