पंचायती राज व्यवस्था और भारत में ग्रामीण विकास

Authors

  • डॉ0 अनुपमा श्रीवास्तव

Abstract

प्रस्तुत शोध पत्र में देश व समाज के विकास में पंचायत की भूमिका का विश्लेषण किया गया है। पंचायतों का अस्तित्व देश के अतीत में था, वर्तमान में है और भविष्य में रहेगा। चूंकि पंचायत लोकतंत्र एवं विकास की पहली सीढ़ी है। अतः भविष्य में पंचायत थे और उन्हें और अधिक सदृढ़ बनाना होगा। शताब्दियों से सहज रूप से एक महत्वपूर्ण जीवन पद्धति के रूप में विद्यमान हैं। इस जीवन पद्धति के द्वारा भारतीय ग्रामीण समाज सर्वोच्च उपलब्धियां हासिल कर रहा है। भविष्य की पंचायत और सशक्त बनानी होगी। जिससे विकास की गति और तेज हो सके। पंचायती राजव्यवस्था ने हर वर्ग को हिस्सेदारी दिलाते हुए लोकतंत्र की असली तस्वीर दिखाई है। विकास किसी भी स्तर का हो, उसमें किसी न किसी रूप में पंचायत के बिना ग्रामीण विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि अभी भी भारत में अधिकांश आबादी गांवों में रहती है। और गांवों के विकास की पहली सीढ़ी पंचायत है।
शब्द संक्षेप- ग्रामीण विकास, पंचायती राजव्यवस्था, जनसहभागीता द्विस्तरीय ढांचा, सामुदायिक विकास, 73वां संविधान सं शोधन।

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Published

15-05-2019

How to Cite

1.
डॉ0 अनुपमा श्रीवास्तव. पंचायती राज व्यवस्था और भारत में ग्रामीण विकास. IJARMS [Internet]. 2019 May 15 [cited 2024 Nov. 24];2(2):202-7. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/293

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