संस्कृति का अर्थ एवं अवधारणा

Authors

  • डॉ0 शालिनी त्रिपाठी

Abstract

युग-युगान्तर से पूर्वज पर्वत ध्रुव अचल खड़े हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो इनकी सभी इच्छायें पूर्ण हो गयी हैं और इन्हें कहीं आने-जाने की आवश्यकता नहीं रही, ये अजर और हरीतिमामय वृक्षों से परिपूर्ण हैं, और (पक्षियों के) मधुर रव से आकाश-पृथ्वी को मुखरित करते रहते हैं।
शब्द संक्षेप- संस्कृति, अर्थ, अवधारणा, सभ्यता एवं प्रेरणा।

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Published

15-05-2019

How to Cite

1.
डॉ0 शालिनी त्रिपाठी. संस्कृति का अर्थ एवं अवधारणा. IJARMS [Internet]. 2019 May 15 [cited 2025 Apr. 29];2(2):249-53. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/380

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