अष्टछाप काव्य में नृत्य का शास्त्रीय पक्ष

Authors

  • डॉ0 शालिनी त्रिपाठी

Abstract

प्राचीन साहित्य में रास और रास लीला के पर्याप्त पर उल्लेख मिलते हैं लेकिन अन्तिम रूप से उसके स्वरूप को निर्धारित कर पाने के अपर्याप्त हैं। प्राप्त वर्णनों में किसी निश्चित शास्त्रीय स्वरूप का उल्लेख नहीं है। कहा जाता है कि परम्परा-पुष्ट धार्मिक और दरबारी कला-प्रवृत्तियों के स्वास्थ्य समन्वय से कत्थक नृत्य शैली का जन्म हुआ है। चूँकि रास और कत्थक में पर्याप्त समानताएँ हैं, और वर्तमान कंत्थक अष्टछाप वर्णित रास के पदों पर सहज संप्रेषण है अतः कथक के आधार पर ‘रास‘ के शास्त्रीय गुणों की खोज की जा सकती. है।
शब्द संक्षेप- प्राचीन साहित्य, रास, रास लीला, अष्टछाप काव्य, नृत्य का शास्त्री पक्ष।

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Published

30-04-2018

How to Cite

1.
डॉ0 शालिनी त्रिपाठी. अष्टछाप काव्य में नृत्य का शास्त्रीय पक्ष. IJARMS [Internet]. 2018 Apr. 30 [cited 2024 Dec. 3];1:1-3. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/512

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