भारतीय संगीत मे ताल की उपादेयता

Authors

  • डॉ0 शालिनी त्रिपाठी

Abstract

कृष्ण-भक्त कवियों के छन्द-विधान के प्रति साधारण मान्यता के विपरीत नन्ददास के पदों में भी छन्दों का निश्चित विधान मिलता है। कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे है :-
सारसी छन्द :- इसका प्रयोग कवि ने इस प्रकार किया है :-
नंद कुमार भजन सुखदाइक, पतितन पावन करन।
अतुल प्रताप महामहिम सोभा, सोक ताप अघहरन।
पुष्टि मर्जाद भजन रस सेवा, निज जन पोषन भरन।
शब्द संक्षेप- भारतीय संगीत, तबला, ताल, वादक, उपादेयता।

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Published

15-09-2018

How to Cite

1.
डॉ0 शालिनी त्रिपाठी. भारतीय संगीत मे ताल की उपादेयता. IJARMS [Internet]. 2018 Sep. 15 [cited 2025 Mar. 12];1(2):256-8. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/378

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