उत्तरांचल की क्षेत्रीय संस्कृति का महत्व

Authors

  • डॉ0 शालिनी त्रिपाठी

Abstract

हमारे संस्कृति की विराट्ता को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संस्कृति का स्वरूप अत्यन्त विराट होता है। संस्कृति किसी जाति विशेष (जैसे आर्य, अनार्य, बौद्ध, मुसलमान आदि) की होती है तथापि वर्तमान में संस्कृति शब्द के अर्थ में भी परिवर्तन हुआ है और उत्तरांचल की संस्कृति पूर्वांचल की संस्कृति पंजाब की संस्कृति आदि जैसे शब्द प्रचलन में आये हैं, विराट हिन्दू संस्कृति ने विशाल भारत भूमि में अलग-अलग क्षेत्रों में अपने स्वरूप में कुछ परिवर्तन किया है तथापित इसकी आत्मा भारतीय है।
ज्ञमल ूवतके रू. उत्तरांचल, संस्कृति का स्वरूप, क्षेत्रीय संस्कृति, महत्व।

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Published

30-01-2020

How to Cite

1.
डॉ0 शालिनी त्रिपाठी. उत्तरांचल की क्षेत्रीय संस्कृति का महत्व. IJARMS [Internet]. 2020 Jan. 30 [cited 2024 Nov. 24];3(1):220-2. Available from: https://journal.ijarms.org/index.php/ijarms/article/view/406

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